जुन्नारदेव के उमरेट हनोतिया रोड से लगा हुआ रेनी का जंगल इन दिनों अवैध मिट्टी खनन की गतिविधियों के कारण परेशान है। 5 फरवरी 2025 को इस क्षेत्र से मिल रही जानकारी के अनुसार, यहां पर बड़े पैमाने पर अवैध रूप से मिट्टी निकाली जा रही है। यह मिट्टी मुख्य रूप से ईंट बनाने के लिए इस्तेमाल हो रही है। इस खनन से ना केवल जंगल का पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट हो रहा है, बल्कि पूरे क्षेत्र में गंभीर पर्यावरणीय संकट भी पैदा हो रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां बड़े-बड़े गड्ढे खोदकर मिट्टी निकाली जा रही है। इस खनन से इलाके की जलवायु असंतुलित हो रही है और जल स्तर में गिरावट आ रही है। साथ ही, जंगल में जल संग्रहण की प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है, जिससे बाढ़, भू-स्खलन जैसी आपदाओं का खतरा बढ़ रहा है। यह खनन गतिविधियां जंगल के जैव विविधता को भी नुकसान पहुँचा रही हैं, जिससे वन्यजीवों की जीवनशैली पर भी असर पड़ रहा है।
जगह-जगह हो रहे इस अवैध खनन के बावजूद वन विभाग और खनिज विभाग की लापरवाही चिंता का कारण बन रही है। दोनों ही विभाग इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं और कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। यह देखकर स्थानीय लोग बेहद नाराज हैं और सवाल उठा रहे हैं कि क्या प्रशासन और संबंधित विभाग अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं या वे केवल अपनी आँखें मूंद कर बैठे हैं।
स्थानीय निवासी रामलाल यादव ने बताया, “यह स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। अगर इस अवैध खनन को रोका नहीं गया तो यह जंगल जल्द ही नष्ट हो जाएगा। इसके साथ ही यहां रहने वाले लोगों की जिंदगी भी संकट में पड़ जाएगी।” उनका कहना है कि खनन से पानी की कमी हो रही है और जंगल में बाढ़ जैसी समस्याएँ सामने आ रही हैं। इसके अलावा, वन्यजीवों के लिए भी यह खनन खतरनाक साबित हो सकता है।
हालांकि, इस गंभीर समस्या को लेकर कई बार स्थानीय लोगों ने वन विभाग और खनिज विभाग से शिकायत की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इन विभागों की निष्क्रियता से यह सवाल उठता है कि क्या पर्यावरण और स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार विभाग अपनी भूमिका निभा रहे हैं या नहीं।
वन्यजीव संरक्षण के लिए काम करने वाली एक संस्था के सदस्य, सुभाष कुमार ने बताया, “रेनी के जंगल में हो रहा अवैध खनन न केवल पर्यावरण के लिए खतरा है, बल्कि यह क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र को भी प्रभावित कर रहा है। अगर इस पर रोक नहीं लगी, तो यह एक बड़ी आपदा का कारण बन सकता है।” उन्होंने आगे कहा कि प्रशासन को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन और विभाग अब भी इस पर ध्यान नहीं देते हैं, तो स्थिति और भी खराब हो सकती है। जंगल का नष्ट होना, पानी की कमी और प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ना उन सभी के लिए चिंता का विषय है, जो इस क्षेत्र में रहते हैं। यह समय है जब प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इस अवैध खनन पर तुरंत रोक लगानी चाहिए।
अगर जल्द ही कदम नहीं उठाए गए तो यह क्षेत्र न केवल वन्यजीवों के लिए, बल्कि स्थानीय समुदाय के लिए भी एक गंभीर आपदा बन सकता है। अब देखना यह है कि प्रशासन और विभाग इस मुद्दे पर कितनी जल्दी ध्यान देते हैं और इस संकट से निपटने के लिए क्या कदम उठाते हैं।
Mahakumbh 2025 : महाकुंभ में तीसरे अमृत स्नान पर 2.33 करोड़ लोगों ने लगाई डुबकी