8 फरवरी, 2025, भोपाल: शहीद भवन भोपाल में आयोजित रंग अविराम 5 नाट्य एवं दुष्यंत कुमार सम्मान समारोह की शुरुआत 7 फरवरी को हास्य नाटक ‘मै भी माँ बन गया’ से हुई। यह नाटक लेखन और निर्देशन में वरिष्ठ रंगकर्मी सुनील राज द्वारा तैयार किया गया है। इस नाटक की खासियत यह है कि इसमें गंभीर संदेश को शुद्ध बुंदेली बोली के हास्य के साथ पेश किया गया है, जो दर्शकों को न केवल हंसाता है, बल्कि एक गहरे संदेश की ओर भी इशारा करता है।
नाटक की कहानी घनश्याम नामक पात्र के इर्द-गिर्द घूमती है। घनश्याम के पिता ने अपनी संपत्ति अपने होने वाले पोते के नाम कर दी थी। लेकिन घनश्याम के घर एक के बाद एक लड़कियां पैदा होती हैं। फिर एक चमत्कार घटता है और घनश्याम खुद गर्भवती हो जाता है। इस चमत्कारी स्थिति में घनश्याम की यात्रा शुरू होती है, जहाँ वह एक महिला के गर्भावस्था के दर्द और परेशानियों को महसूस करता है। यह नाटक एक पुरुष के दृष्टिकोण से गर्भावस्था की कठिनाइयों को दर्शाने का प्रयास करता है।
नाटक में घनश्याम का किरदार जैकी भावसार ने निभाया है। उनकी कॉमिक टाइमिंग बेहद शानदार रही और उन्होंने दर्शकों को हंसी से लोटपोट कर दिया। वहीं, रुक्मणी का किरदार निभाने वाली आरती विश्वकर्मा ने अपने अभिनय में भावनाओं का संतुलन बहुत अच्छे से दिखाया। उनके द्वारा निभाए गए किरदार के दुख और हास्य दोनों पक्षों ने दर्शकों को गहरे तक छुआ।
नाटक में दद्दा के रूप में रोहित पटेल का अभिनय शानदार था। उनके चरित्र ने नाटक में गहरा प्रभाव छोड़ा। यमदूत का किरदार पियूष सैनी ने निभाया और वह अपनी भूमिका में जान डालते हुए दिखाई दिए। वहीं, खलनायिका चाची का किरदार नवांगतुक अभिनेत्री रागनी जाट ने बेहद कुशलता से निभाया। छोन्नू और मुन्नू के किरदार में हिमांशु प्रजापति और विशाल बकोरिया ने भी अपनी शानदार अदाकारी से दर्शकों को आकर्षित किया।
यह नाटक भोपाल में सात साल के बाद मंचित हुआ था, इस वजह से दर्शकों की संख्या भी काफी अधिक थी। मंच पर विकास सिरमौलिया का संगीत बुंदेलखंड की मिट्टी की महक को महसूस कराता था। वहीं, विभांशु खरे का बैकग्राउंड स्कोर नाटक को और भी वास्तविक और जीवंत बना देता है। नाटक की प्रकाश व्यवस्था मुकेश जिज्ञासी द्वारा की गई थी, जो फ्लैशबैक के समय बेहद आश्चर्यजनक और अद्भुत प्रतीत होती थी।
नाटक के सभी विभागों में कुछ नया और ताजगी का अहसास होता है, जो दर्शकों को एक अलग अनुभव प्रदान करता है।
नाटक के शुरुआत से पहले, प्रदेश की कुछ प्रमुख हस्तियों को ‘दुष्यंत कुमार सम्मान’ से सम्मानित किया गया। रंगमंच से संजय मेहता और श्रुति सिंह को सम्मानित किया गया, जबकि समाज सेवा के क्षेत्र में डॉ. साक्षी भारद्वाज, श्री श्री 1008 साध्वी संजना सखी और विक्की ठाकुर को भी सम्मानित किया गया।
रंग अविराम 5 की यह शुरुआत न केवल नाट्य कला का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करती है, बल्कि यह इस क्षेत्र में नई सोच और विचारों का भी संचार करती है। 8 फरवरी को नाटक ‘बाबू जी’ का मंचन होगा, जिसका निर्देशन युवा रंगकर्मी वसीम अली ने किया है।
यह नाटक न केवल एक हास्य अनुभव था, बल्कि इसमें समाज को सोचने पर मजबूर करने वाले विषय भी थे। रंग अविराम 5 का यह आयोजन नाटक प्रेमियों के लिए एक बड़ी उत्सव की तरह था।