Bhopal News : रंग महिमा थिएटर सोसायटी के तीन दिवसीय क्लासिक नाट्य उत्सव पर अ-विराम जनकल्याण संस्था की शानदार प्रस्तुति 

Vikash Kumar Yadav
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Bhopal News

Bhopal News : रंग महिमा थिएटर सोसाइटी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय क्लासिक नाट्य उत्सव के अंतिम दिन, अ-विराम जनकल्याण संस्था ने ‘आधे अधूरे’ नाटक की शानदार प्रस्तुति दी। इस नाटक में मध्यवर्गीय जीवन की जटिलताओं और संघर्षों का अद्वितीय चित्रण किया गया, जो दर्शकों को गहरे विचार में डाल गया।

‘आधे अधूरे’ नाटक के लेखक मोहन राकेश ने इस नाटक के माध्यम से महानगरों में रहने वाले मध्यवर्गीय परिवारों की असमानताओं और विडंबनाओं को बहुत बारीकी से उकेरा है। यह नाटक इस बात को उजागर करता है कि कैसे एक मध्यवर्गीय परिवार न तो उच्च वर्ग के सुख-सुविधाओं का आनंद उठा पाता है और न ही वह निम्न वर्ग के समान गरीबी का हिस्सा बनता है। ऐसे में, यह वर्ग हमेशा एक अजीब स्थिति में रहता है और जीवनभर संघर्ष करता है।

नाटक का हर किरदार एक विशेष संघर्ष और दुविधा को दर्शाता है। इस प्रस्तुति में सभी कलाकारों ने अपने अभिनय से इसे और भी प्रभावशाली बना दिया। निर्देशक सुनील राज ने चार पुरुषों के पात्रों को इतने खूबसूरती से निभाया कि वह पूरी तरह से दर्शकों का दिल जीत लेते हैं। उनके अभिनय में जो गहराई और सहजता थी, वह दर्शकों को पूरी तरह से बांध लेती है।

नाटक की मुख्य पात्र सावित्री का किरदार आरती विश्वकर्मा ने बखूबी निभाया। आरती का अभिनय नाटक के सभी तत्वों को जोड़ते हुए उसे बहुत सशक्त बना देता है। सावित्री का किरदार नाटक का केंद्रीय धारा बनता है, जो बाकी सभी पात्रों के जीवन को दिशा देता है। आरती के अभिनय में एक ऐसी सच्चाई और गहराई थी, जिसने दर्शकों को इस नाटक से जोड़ लिया।

बड़ी लड़की के किरदार ओशीन श्रीवास्तव ने अपने अभिनय से नाटक में नया रंग भर दिया। ओशीन ने अपने पात्र के संघर्षों को पूरी तन्मयता से दर्शाया, जिससे नाटक की भावनाओं को एक नया आयाम मिला। छोटी लड़की अनु का किरदार आज के किशोरों की वास्तविकता को सटीक रूप से प्रस्तुत करता है। अनु के रूप में कलाकार ने आज के समय में किशोरों की दुविधाओं और समस्याओं को दर्शाया, जो बहुत प्रासंगिक था।

नाटक के एक और महत्वपूर्ण पात्र विभांशु खरे थे, जिन्होंने बेटे के रूप में अपने अभिनय से नाटक की भावना को मजबूत किया। उनका किरदार नाटक के बाकी पात्रों से मेल खाते हुए सही जगह पर था और उन्होंने नाटक को और भी प्रभावशाली बनाया। ऐसा लगा जैसे यह नाटक विशेष रूप से अविराम के कलाकारों के लिए ही लिखा गया हो, क्योंकि वे प्रत्येक पात्र को पूरी तरह से जीते हुए नजर आए।

दर्शकों की प्रतिक्रियाएं भी बहुत उत्साहजनक थीं। नाटक के दौरान दर्शक भाव विभोर हो गए। उन्होंने कलाकारों की तारीफ की और उनका अभिनय देखकर गहरी सराहना व्यक्त की।

इस शानदार प्रस्तुति के साथ ही इस नाट्य उत्सव को रंगमंच जगत की महान विभूति श्री आलोक चटर्जी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। आज की प्रस्तुति उन्हें समर्पित की गई, जो रंगमंच की दुनिया में एक अमिट छाप छोड़ गए। इस समर्पण से यह कार्यक्रम और भी भावुक और यादगार बन गया।

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