Singrauli News: सिंगरौली जिले के जिला चिकित्सालय सह ट्रामा सेंटर में काम करने वाले 10 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को पैसों की कमी के कारण नौकरी से निकाल दिया गया है। यह फैसला जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। रोगी कल्याण समिति द्वारा यह घोषणा की गई कि 15 जनवरी 2025 से इन कर्मचारियों को कार्य पर नहीं रखा जाएगा और अगर यह कर्मचारी काम करते हुए पाए गए तो उन्हें भुगतान नहीं किया जाएगा।
रोगी कल्याण समिति द्वारा जारी की गई सूचना के अनुसार, ये 10 कर्मचारी पिछले कुछ महीनों से अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे थे। इनमें सफाई कर्मचारी, वार्ड बॉय, और अन्य सहायक कर्मचारी शामिल हैं। यह सभी कर्मचारी दैनिक वेतन पर काम कर रहे थे, लेकिन अब अस्पताल प्रशासन ने कहा कि बजट की कमी के कारण इन्हें काम से निकालना पड़ा है।
इस बारे में अस्पताल प्रशासन ने बताया कि रोगी कल्याण समिति के पास पर्याप्त बजट नहीं है, जिससे यह निर्णय लिया गया है। इन कर्मचारियों की छटनी की सूची भी जारी की गई है, जिसमें निम्नलिखित कर्मचारियों को कार्य से मुक्त किया गया है:
- श्रीमती साधना साह
- श्रीमती पूर्णिमा सिंह
- श्रीमती रंजना यादव
- कु. प्रिया श्रीवास्तव
- अन्नू देवी साकेत
- श्रीमती किरण वार्मा
- राज कुमारी पाण्डेय
- श्री बृजेन्द्र शर्मा
- श्रीमती मालती जायसवाल
- श्री राकेश कुमार शाह
सूचना के अनुसार, इन कर्मचारियों को 15 जनवरी 2025 के बाद कार्य पर नहीं लिया जाएगा और अगर ये कर्मचारी कार्य करते हुए पाए जाते हैं तो उन्हें भुगतान नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, पिछले 5 महीनों का शेष बकाया राशि का भुगतान अगले 2 महीनों के भीतर किया जाएगा।
इस घटना ने सिंगरौली जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें इस निर्णय के बारे में पहले से कोई सूचना नहीं दी गई थी। कर्मचारियों का कहना है कि वे लंबे समय से मेहनत कर रहे थे और अब अचानक इस तरह से बाहर किया जाना उनके लिए बहुत बड़ा झटका है।
सिंगरौली में यह घटना इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह शहर “ऊर्जा राजधानी” के नाम से प्रसिद्ध है और यहां का अधिकांश श्रमिक वर्ग ऊर्जा उद्योगों में काम करता है। ऐसे में, रोज़ी-रोटी की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए सरकारी अस्पतालों में काम करना एक महत्वपूर्ण रोजगार का स्रोत था। अब इन कर्मचारियों के नौकरी से बाहर होने से उनकी आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह स्थिति केवल एक अस्पताल की नहीं है, बल्कि पूरे सिंगरौली जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की समस्या और कर्मचारियों की छटनी की चिंता बढ़ा रही है। सिंगरौली के लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि जब जिले में ऊर्जा और कोयला उद्योगों से बड़ी आमदनी हो रही है, तो फिर सरकारी अस्पतालों के लिए बजट की कमी क्यों हो रही है?
जनप्रतिनिधियों का कहना है कि वे इस मामले को लेकर संबंधित अधिकारियों से बातचीत करेंगे, लेकिन फिलहाल इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है। इस बीच, प्रभावित कर्मचारियों और उनके परिवारों में निराशा और चिंता का माहौल है। उनका कहना है कि अब उनके पास नौकरी खोने के बाद किसी भी प्रकार का आश्रय नहीं बचा है और वे बिना किसी मदद के कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
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