भारत में भगवान श्री राम को समर्पित कई ऐसे मंदिर हैं जहां भगवान राम की पूजा धूमधाम से की जाती है लेकिन देश में एक ऐसा भी मंदिर स्थित है जहां रावण की पूजा धूमधाम से की जाती है. आईए जानते हैं इस मंदिर के बारे में पूरा इतिहास।
एक तरफ पूरा देश आज रावण का पुतला दहन करने जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ भारत में एक ऐसा भी मंदिर है जहां रावण की पूजा भगवान की तरह की जाती है वही यह मंदिर दशहरा के दिन प्रत्येक साल खोला जाता है हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में स्थित दशानन मंदिर के बारे में.
धूमधाम से की जाती है रावण की पूजा
ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1868 में महाराज गुरु प्रसाद ने करवाया था। दशहरा के दिन रावण का जलाभिषेक कर विशेष श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद शुभ मुहूर्त में रावण की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही इस दिन यहां पर रावण का जन्मदिन उत्साह के साथ मनाया जाता है।
दशहरा के दिन भारी संख्या में होती है श्रद्धालुओं की भीड़
इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि जब कोई साधक पूजा और दर्शन कर कोई मनोकामना करता है, तो उसकी सभी मुरादें जल्द पूरी होती हैं। दशहरा के दिन इस मंदिर में अधिक संख्या में भक्त आते हैं। सालभर मंदिर बंद रहता है और दशहरा के दिन ही मंदिर के कपाट खुलते हैं। धार्मिक मान्यता हैं कि दशहरे के दिन दशानन मंदिर में लंकापति रावण की आरती के दौरान नीलकंठ के दर्शन श्रद्धालुओं को होते हैं और सभी ग्रह दोष दूर होते हैं।
जानिए क्यों मनाया जाता है दशहरा?
दशहरा भारत का एक प्रमुख त्योहार है जिसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने राक्षस राज रावण का वध इसी दिन किया था। रावण अहंकार और बुराई का प्रतीक था, जबकि राम धर्म और सत्य का प्रतिनिधित्व करते थे। दशहरा को दुर्गा पूजा के समापन के रूप में भी मनाया जाता है। माता दुर्गा ने महिषासुर जैसे राक्षसों का वध करके देवताओं को मुक्ति दिलाई थी। इस दिन शस्त्रों और उपकरणों की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे शक्ति और साहस बढ़ता है।