Singrauli News : एनसीएल के निगाही परियोजना द्वारा खदान विस्तार के लिए ग्राम मुहेर की भूमियों का किये जा रहे अधिग्रहण की कार्यवाही में भारी अनियमितता व बार्डर की भूमि व मकानों के नापी मूल्यांकन में की गयी। हीलाहवाली व हैवी ब्लास्टिंग की वजह से ग्राम मुहेर में दो मंजिला मकान जमीदोज हो गया।
पीड़ित ने धरासायी मकान की क्षतिपूर्ति के लिए मौका मुआयना करने महाप्रबंधक व कलेक्टर से मिलकर लिखित फरियाद किया। लेकिन आवेदन दिए हुए ढाई माह का समय व्यतीत हो गया। लेकिन जिम्मेदारों द्वारा धरासायी मकान का ना ही मौका मुआयना किया गया और ना ही कोई क्षतिपूर्ति स्वीकृति की गयी। जबकि ब्लास्टिंग से धरासायी मकान की क्षतिपूर्ति के लिए पीड़ित निगाही परियोजना का पिछले ढाई माह से लगातार चक्कर लगा रहा है। लेकिन विभाग के जिम्मेदारो के कान में जू तक नही रेंग रहा। हैवी ब्लास्टिंग से जमीदोज मकान के विवरण मे ंपीड़ित भू व मकान मालिक सुग्रीव प्रसाद ने बताया कि ग्राम मुहेर के आराजी नंबर 1264/2 में मकान मौजूद रहा है,जहाँ निगाही परियोजना द्वारा खदान के विस्तार के लिए ग्राम मुहेर की भूमि का अधिग्रहण की कार्यवाही की जा रही है। लेकिन भू अधिग्रहण के कार्य में लगी टीम ने आराजी नंबर 1264/2 व उसमें मौजूद मकान की नापी यह कहते हुये नही किया था कि यह नंबर व इसमें मौजूद मकान अधिग्रहित भूमि के बार्डर पर स्थित है।
जिस वजह से इसके नापी की प्रक्रिया परियोजना द्वारा जब फाइनल सीमा निर्धारण की कार्यवाही की जाएगी उस दौरान होगा। सीमा निर्धारण के सम्बन्ध में निगाही परियोजना द्वारा 2023 के सितम्बर माह में पेपर में जानकारी प्रकाशित करवाया गया था कि जिनकी भी भूमि व मकान बार्डर पर मौजूद है उन आराजी नम्बरो के भू-मालिक अतिशीघ्र नापी व अन्य अधिग्रहण कार्यवाही की प्रक्रिया को अविलम्ब संपन्न कराने सभी लोग निगाही महाप्रबंधक कार्यालय में रजिस्ट्री सहित बाकि सभी जरुरी समस्त दस्तावेज जमा करें।
सूचना के बाद आवेदक सुग्रीव प्रसाद ने भी 22 नवम्बर 2023 को आराजी नंबर 1264/2 का समस्त रिकॉर्ड निगाही परियोजना में जमा कर दिया। लेकिन निगाही परियोजना के भू-अर्जन विभाग की लापरवाही से उक्त मकान व जमीन के नापी की कार्यवाही पूर्ण नही की गयी। जबकि निगाही परियोजना के भू-अर्जन विभाग द्वारा सीमा निर्धारण की कार्यवाही 2023 के जुलाई व अगस्त माह में पूर्ण कर बार्डर के भू-मालिकों से रिकॉर्ड मांगा गया था। लेकिन तब से लेकर अब तक मुहेर के बार्डर पर मौजूद भू-मालिकों के मकान व अन्य संपत्तियों के मूल्यांकन की कार्यवाही पूरी नही की गयी और 10 माह बाद माइनिंग डिपार्टमेंट की लापरवाही से की गयी हैवी ब्लास्टिंग की जद में आकर बिना नापी मूल्यांकन हुए दो मंजिला मकान धराशायी हो गया।