Singrauli News : जिले में चेक डेम के निर्माण कार्य में करोड़ों रूपये के खेला कर व्यापक रूप से राशि की बंदरबांट किये जाने के एक के बाद एक आरोप लगने लगे हैं। आज कलेक्टर की जनसुनवाई में गड़ेरिया ग्राम पंचायत के एक पट्टेधारी ने पहुंच चेक डेम निर्माण कार्य का पोल खोलते हुये लिखित शिकायत किया है।
गौरतलब है कि जिले के ग्राम पंचायतों में 15वें वित्त एवं मनरेगा के तहत पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 एंव 2023-24 में सैकड़ों की संख्या में चेक डेम स्वीकृत कर निर्माण कार्य हुआ। जहां चेक डेमों के निर्माण कार्य में व्यापक रूप से गुणवत्ता की अनदेखी की गई। आरोप है कि ग्राम पंचायतों के सरपंच, सचिव व जीआरएस ने आपस में तालमेल बनाकर गुणवत्ता विहीन कार्य भी कराया है। जिसका अपने बंगले एवं दफ्तरों में बैठकर संबंधित ग्राम पंचायत के उपयंत्रियों ने ऑख में पट्टी बांध कर चेक डेमों का मूल्यांकन करने में कोई कोर कसर नही छोड़ा है। ताजा मामला बैढ़न विकास खण्ड के ग्राम पंचायत गड़ेरिया के गुल्लीडाड़ का सामने आया है। शिकायतकर्ता गनी मोहम्मद पिता स्व. जहूर मोहम्मद ने आज दिन मंगलवार को कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंच लिखित शिकायत करते हुये आरोप लगाया है कि ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव, उपयंत्री एवं पंच दोष मोहम्मद के द्वारा मेरे पट्टे की आराजी क्रमांक 25/1 एवं 25/4 ग्राम गुल्लीडाड़ में बिना सहमति के दो चेक डेम का निर्माण कार्य करा दिया। यह निर्माण कार्य उस वक्त कराया गया जब शिकायतकर्ता के घर में वैवाहिक कार्यक्र म में कई दिनों तक व्यस्त थे।
इसी वर्ष के मई महीने में यह कार्य कराया। आरोप यह भी लगाया गया है कि चेक डेम का निर्माण चन्द दिनों 11-12 दिन में करा दिया। लेकिन चेक डेम गुणवत्ता विहीन है। करीब 16-16 लाख रूपये की लागत से निर्मित चेक डेम में पानी का ठहराव कितना हो रहा है। निरीक्षण से ही पता चल जाएगा। शिकायतकर्ता ने कलेक्टर को आवेदन पत्र देते हुये कहा है कि बिना पट्टे व कब्जे की भूमि में गुणवत्ता विहीन चेक डेम का निर्माण कराने वाले सरपंच, सचिव व कार्य स्थल का लेआउट का मूल्यांकन करने वाले उपयंत्री के विरूद्ध सख्त कार्रवाई कर राशि की वसूली कराए जाने की मांग की है।
साइड इंचार्ज उपयंत्रियों की भी है मिलीभगत
चेक डेमों के निर्माण कार्य में जिस तरह से शिकायतें आ रही हैं। आरोप है कि संबंधित ग्राम पंचायतों के साइड इंचार्ज कथित उपंयत्रियों की मिलीभगत से गुणवत्ता विहीन कार्य कराया गया। आरोप है कि जब कार्य का लेआउट उपयंत्री करने जाते हैं तो ऑख बन्द कर लेआउट करते हैं या फिर सब कुछ पंचायतों पर दामोदार छोड़ दिया जा रहा। इसी के चलते अधिकांश चेक डेम किसी काम के नही रह गए। आरोप यहां तक लग रहे हैं कि देवसर-चितरंगी एवं बैढ़न के सीईओ की भी ऑखे भी ऑझल हो गई हैं। लाखों रूपये की लागत से मंजूर ध्वस्त चेक डेम दिखाई नही देता है।
दूरबीन से देखने पर नहीं मिलेगा कार्य स्थल
आलम यह है कि कई ग्राम पंचायतों के द्वारा चेक डेमों के नाम पर सरकारी राशि कर जमकर दुरूपयोग करते हुये राशि की बंदरबांट करने में कहीं से भी गुंजाइश नहीं छोड़ी है। आलम यह है कि कई ऐसे ग्राम पंचायतें हैं जहां इस साल की बारिश में चेक डेम बह गए और उनका नामोंनिशान भी नही रह गया। कहा जा रहा है कि यदि जांचकर्ता दूरबीन लगाकर कार्य स्थल को देखेंगे तब कही शायद कार्य स्थल का कुछ अवेशष दिख पाएगा। इस तरह की एक नही दर्जन भर से अधिक ग्राम पंचायत हैं। जहां के चेक डेम पूर्णत: ध्वस्त हो गए हैं। इसकी शिकायतें भी जनपद पंचायत से लेकर जिला पंचायत में की गई है। कि न्तु अभी तक कार्रवाई के नाम पर महज नोटिस तक ही सीमित कर रखा है।