सिंगरौली न्यूज: सिंगरौली जिले में रेलवे लाइन से प्रभावित करीब दो हजार मकानों का मुआवजा देने के मामले में प्रशासन बुरी तरह फंस गया है। हाईकोर्ट के फटकार के बाद प्रशासन के हाथ-पांव फूले हुए हैं। यह मामला अब इतना पेचीदा हो चुका है कि अधिकारियों के लिए इसे सुलझाना मुश्किल हो गया है। हालांकि फिलहाल एक मामले में पेंच फंसा हुआ है, लेकिन ऐसे ही 2000 मामलों में इस प्रकार की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इस पूरे घटनाक्रम ने जिला प्रशासन और भू-अर्जन अधिकारी की पूरी प्रक्रिया को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
मनमाने तरीके से मुआवजा वितरण
सिंगरौली जिले में कलेक्टर से लेकर एसडीएम तक ने रेलवे मुआवजा भुगतान के नियमों को नकारते हुए अपनी मनमानी चलायी। यह ऐसा मामला नहीं है जहां अधिकारियों को नियमों की जानकारी न हो, लेकिन फिर भी व्यक्तिगत लाभ और अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए उन्होंने नियमों से खिलवाड़ किया। इन अधिकारियों ने करीब दो हजार मामलों में भूमि स्वामियों को मुआवजा न देकर तीसरे व्यक्तियों को भुगतान कर दिया।
अधिकारियों ने जो सहमति पत्र तैयार किए, वह बिना पढ़े-लिखे आदिवासी और वृद्ध लोगों से लिए गए थे। इन सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर करने वालों की उम्र काफी अधिक थी और उनकी स्थिति ऐसी थी कि वह पूरी प्रक्रिया को ठीक से समझ भी नहीं सकते थे। यह साफ तौर पर दर्शाता है कि अधिकारियों ने जानबूझकर नियमों को ताक पर रखकर अपने नजदीकी लोगों को फायदा पहुंचाया।
लाखों का भुगतान तीसरे व्यक्ति को
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकारियों ने मुआवजे के तौर पर एक ही व्यक्ति को 30 से 40 लाख रुपये का भुगतान कर दिया, जबकि वह व्यक्ति भूमि स्वामी नहीं था। इस प्रकार से अधिकारियों ने लाखों रुपये की राशि तीसरे व्यक्ति को बिना किसी वैध अधिकार के दे दी। यह मामला और भी गंभीर हो जाता है जब पता चलता है कि इसमें सत्तापक्ष और विपक्ष के नेताओं का भी नाम शामिल है। अधिकारियों ने अपनी मनमानी की सारी हदें पार कर दीं और करोड़ों रुपये के मुआवजे को अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए गलत तरीके से बांट दिया।
हाईकोर्ट का फटकार और वसूली की प्रक्रिया
हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद अब प्रशासन सभी से वसूली की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। फिलहाल एक मामले में वसूली की प्रक्रिया चल रही है, और इसी आधार पर प्रशासन अन्य मामलों में भी वसूली कर सकता है। इस बात से जुड़े सभी लोग अब दहशत और अफरातफरी की स्थिति में हैं। देवसर एसडीएम कार्यालय और भू-अर्जन कार्यालय के कर्मचारियों और अधिकारियों के नाम इस घोटाले में सामने आए हैं। उनके कारनामों को अब उजागर किया जा चुका है, और उनकी गिरफ्तारी या वसूली की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
प्रशासन की चुनौती
अब यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन इस बड़े मुआवजा घोटाले को सही तरीके से सुलझा पाएगा? या फिर यह मामला और जटिल होता जाएगा? अगर वसूली की प्रक्रिया ठीक से चलती है, तो यह अधिकारियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। जिले में इस घोटाले से जुड़े सभी लोग, जिनमें अधिकारी और उनके करीबी शामिल हैं, अब एक-दूसरे से बचने की कोशिश करेंगे।
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