Bhagavad Gita: भगवद गीता में बताया गया है कि लक्ष्य प्राप्ति में क्यों होती है देरी

Mahima Gupta
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Bhagavad Gita

Bhagavad Gita: आज की इस तेज़ रफ़्तार वाली दुनिया में लोग हर चीज़ जल्दी पाना चाहते हैं चाहे वो प्यार हो या सफलता। साथ ही व्यक्ति का धैर्य भी कम हो जाता है। लेकिन भगवद गीता में यह बताया गया है कि हम जीवन में जिस चीज़ की सबसे अधिक इच्छा करते हैं वह हमें देर से क्यों मिलती है।

भगवत गीता उपदेश का ज्ञान भगवान कृष्ण ने अर्जुन को युद्ध के मैदान में दिया था। भगवत गीता महाभारत ग्रंथ का एक हिस्सा है, जिसमें कई उपयोगी शिक्षाएं शामिल हैं। तो आइए जानते हैं भगवत गीता के अनुसार व्यक्ति को अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए क्या करना चाहिए।

परिणाम की चिंता मत करो

भगवद गीता में एक बहुत लोकप्रिय श्लोक है, जिसमें कहा गया है कि व्यक्ति को फल की इच्छा किए बिना अपना कर्म करते रहना चाहिए। क्योंकि कर्म पर ही अधिकार है, फल कब और कैसे आएगा, इसकी चिंता मत करो। यदि हमें जो चाहिए वह बहुत जल्दी मिल जाता है, तो व्यक्ति की नजर में उसका मूल्य कम हो जाता है। वहीं देर से मिलने वाली चीजों की कीमत भी अधिक लगती है।

जल्दवाजी नहीं करनी चाहिए

कभी-कभी हम यह मान लेते हैं कि अगर हमें किसी चीज़ का तुरंत परिणाम नहीं मिलता है, तो इसका मतलब है कि उसका परिणाम कभी नहीं मिलेगा। लेकिन प्रकृति का नियम है कि हर चीज़ अपने समय पर होती है।

उदाहरण के लिए, एक पेड़ तब तक विकसित नहीं हो सकता जब तक उसकी जड़ें गहरी न हों। पत्थर को पानी से भी काटा जा सकता है, लेकिन इस प्रक्रिया में समय लगता है। तो हम कह सकते हैं कि सबसे शक्तिशाली और महत्वपूर्ण चीजों में कभी जल्दबाजी नहीं की जाती, बल्कि समय दिया जाता है।

गीता क्या कहती है?

व्यक्ति का सारा ध्यान केवल अपने लक्ष्य की प्राप्ति पर होता है। इस दौरान वह भूल जाता है कि असल में लक्ष्य तक पहुंचने की प्रक्रिया ही असली यात्रा है। गीता में भी कहा गया है कि “आसक्ति रहित होकर कर्म करो।” जब आप नतीजों के इंतजार में नहीं बैठे रहते हैं, तो आप आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं। यदि आप जीवन के प्रवाह के साथ बहेंगे तो जो आपका है वह आप तक पहुंचेगा।

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