मोदी और अमित शाह का धौंस दिखाकर Adani कंपनी ने सिंगरौली जिले के लोगों का लूट लिया जमीन, विस्थापित खा रहे हैं दर-दर की ठोकरे

Vikash Kumar Yadav
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Adani

सिंगरौली जिले में स्थित अदानी कंपनी जिले के लोगों को मोदी और अमित शाह का धौंस दिखाकर सारा जमीन लूट लिया, बदले में ग्राम वासियों को ना तो मूलभूत सुविधाएं दे रहा है और ना ही उन्हें रोजगार दिया गया. विस्थापित ग्राम वासी जब अदानी कंपनी से मूलभूत सुविधाओं के बारे में बात करते हैं तो उन्हें मोदी और अमित शाह का धौंस दिखाया जाता है और गाली- गलौज मिलता है.

Adani कंपनी ने पॉवर प्लांट बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण की योजना बनाई। इस योजना को लेकर ग्रामीणों की राय ली गई, लेकिन उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया गया। कंपनी ने सिंगरौली जिले के कई गांवों की जमीनें बहुत कम कीमत पर खरीद लीं। ग्रामीणों को अच्छे मुआवजे का वादा किया गया था, लेकिन वादा सिर्फ एक कागज पर ही रह गया। ज़मीन बेचने के बाद भी, कई परिवारों को किसी प्रकार का उचित मुआवजा नहीं मिला। उन्हें बस कुछ ही पैसे दिए गए, जो उनकी ज़िंदगी के लिए नाकाफी साबित हुए। कई गांववाले आज भी अपने पुराने घरों और खेतों से बेघर होकर सड़कों पर रहने को मजबूर हैं।

बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हो गए हैं, लेकिन उन्हें न तो नए घर मिले हैं और न ही रोजगार का कोई ठोस इंतजाम किया गया। कई परिवार अब किराए के घरों में रहते हैं। इनमें से कुछ लोग तो छोटे-मोटे काम करके किसी तरह अपनी जिंदगी चला रहे हैं, जबकि कई लोग बेरोजगार हो चुके हैं।

Adani कंपनी ने अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए सरकारी दबाव का फायदा उठाया। बताया जाता है कि मोदी और अमित शाह के नाम का डर दिखाकर इस पूरी प्रक्रिया को तेज किया गया। गांववालों का कहना है कि उन्हें बताया गया था कि यदि उन्होंने ज़मीन नहीं बेची, तो उनका भविष्य अंधकारमय हो सकता है।

कुछ ग्रामीणों ने इस मुद्दे पर आवाज़ उठाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें हर बार परेशान किया गया। पुलिस और प्रशासन ने कई बार उन्हें धमकी दी और मामला दबाने की कोशिश की गई। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें किसी भी तरह का न्याय नहीं मिल पा रहा है।

Adani कंपनी के द्वारा कहा गया था कि विस्थापितों को विस्थापित भत्ता के रूप में 12090 दिया जाएगा लेकिन आज तक किसी भी स्थापतों को फूटी कौड़ी भी नहीं मिला है, जिसे लेकर विस्थापित होने कलेक्टर से मांग की है कि पूर्व में किए गए एग्रीमेंट के आधार पर सभी विस्थापितों को भत्ता दिया जाए एवं मूलभूत सुविधाएं दी जाए साथ ही जो विस्थापित बेरोजगार हो गए हैं उन्हें रोजगार दी जाए। और जिन विस्थापितों को मुआवजा नहीं दिया गया है उन्हें जल्द से जल्द मुआवजा का भुगतान किया जाए साथ ही विस्थापितों ने मांग की है कि जिन विस्थापितों के बच्चे 18 वर्ष के हो गए हैं उन्हें घर बनाने के लिए जमीन एवं रोजगार दिया जाए। साथ ही विस्थापितों ने वृद्धा पेंशन जो ₹1000 दिया जा रहा है उसे बढ़कर भत्ता का आधा दिया जाए वही बता देने की अवधि 58 वर्ष है उसे बढ़ाकर 62 वर्ष किया जाए इन ही सब मांगों को लेकर स्थापित होने कलेक्टर से गुहार लगाई है।

वहीं, राज्य सरकार की ओर से यह कहा जा रहा है कि विस्थापितों के लिए पुनर्वास योजना बनाई जाएगी। लेकिन किसी भी प्रकार की ठोस योजना अभी तक ज़मीन पर नहीं दिखाई दी है। प्रभावितों का कहना है कि अब उन्हें सिर्फ एक ही उम्मीद है, और वह है न्याय।

Adani कंपनी की तरफ से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, यह देखा गया है कि कई बार कंपनी के अधिकारी ग्रामीणों से बातचीत करने आते हैं, लेकिन उनका व्यवहार असंवेदनशील और आक्रामक होता है,और ग्रामीणों को मां बहन की गाली गलौज करने लगते हैं.

अब यह सवाल उठता है कि सिंगरौली के विस्थापित लोगों को न्याय मिलेगा या नहीं। क्या सरकार और Adani कंपनी उनके दर्द को समझेगी और उन्हें उनका हक दिलाएगी? आखिरकार, जो लोग अपनी ज़मीन और घर खो चुके हैं, वे अब अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। वे चाहते हैं कि किसी भी हाल में उनके साथ इंसाफ हो।

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