Singrauli News : आवासीय भूखंडों तथा शिवाजी कॉम्प्लेक्स की दुकानों के फ्री होल्ड व लीज नवीनीकरण के आवेदनों पर नहीं हो रही सुनवाई

Vikash Kumar Yadav
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Singrauli News : हर्रई आवासीय योजना वार्ड 32 के आवासीय भूखंडों तथा शिवाजी काम्प्लेक्स के दुकानों के फ्री होल्ड और लीज़ नवीनीकरण के लगभग एक सैकड़ा आवेदन लगभग दो वर्ष पूर्व सामूहिक तौर पर समिति द्वारा अग्रेषित्र कर तय प्रारूप में प्रस्तुत किये गए थे। किन्तु आज दिनांक तक नगर पालिक निगम सिंगरौली में लंबित हैं जिसके लिए समिति नें बार वार आग्रह कर निराकृत कराने की मांग कर चुकी है। इस संबंध में नवजीवन रहवासी कल्याण समिति ने जिला कलेक्टर को एक पत्र सौंपकर मामले की जांच कराकर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही करने की मांग की है।

समित के सचिव शशिधर गर्ग का कहना है कि 1987 में तात्कालिक विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण ने सिंगरौली के नगरीय क्षेत्र के वैढ़न विंध्यनगर और मोरवा में नियोजित आवासीय सह व्यावसायिक योजनाओं को तैयार कर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से अनुमोदित कर स्थापित किया था। हर्रई, गनियारी और मोरवा नाम से विकसित और स्थापित की गई इन योजनाओं में एचआईजी और एमआईजी भूखंड के साथ साथ निर्मित एलआईजी आवास के साथ साथ शापिंग कांम्पलेक्स में फ्लैट और दुकान हैं। उक्त भूखंड, फ्लैट और दुकान जहां तीस वर्षीय लीज में तो वहीं निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए एलआईजी आवासों कोन्यूनतम प्रीमियम के साथ 15 वर्षों के आसान किस्तों में पट्टे पर आवंटित किया जाना था।सन 1991-92 योजना के मुताबिक आवंटन भी हुआ है।इन योजनाओं में समुचित सार्वजनिक निस्तार के लिए पार्क, सामुदायिक भवन, विद्यालय, खुली भूमि और हरित क्षेत्र भी नियोजित किए गए थे।. नगर निगम सिंगरौली में कतिपय अधिकारियों और कर्मचारियों ने योजनाओं से छेड़छाड़ कर नियोजित क्षेत्र के उक्त सार्वजनिक भूखंडों को स्वलाभ अर्जन का जरिया बनाकर कूटरचित तरीके से आबंटित तो किया ही है, लीज नवीनीकरण और भूखंडों के फ्रीहोल्ड में भी कूटरचना जारी रखा है। नवजीवन रहवासी कल्याण समिति हर्रई आवासीय योजना वार्ड 32 की पंजीकृत रेजिडेंट्स एसोसिएशन है।समिति हर्रई आवासीय योजना अंतर्गत सार्वजनिक निस्तार और व्यवस्था के लिए जिला और नगरीय प्रशासन के साथ समन्वय कर करती ही है उनके हितों और अधिकारों की रक्षा के लिए भी तत्पर रहती है। रहवासियों से मिली जानकारी के अनुसार नगर पालिक निगम के कुछ कर्मचारियों ने उक्त भूखंडों, आवासों, फ्लैटों और दुकानों के लीज नवीनीकरण,संपत्ति अंतरण तथा फ्री होल्ड्स की पंजीकरण प्रक्रिया में कानून से छेड़छाड़ कर लीज होल्डर्स और भवन स्वामियों को भारी नुक्सान पहुंचाते हुए अच्छी-खासी रिश्वत वसूली है।

समिति के संज्ञान में जब यह बात आई तब समिति ने तात्कालिक कलेक्टर एवं प्रशासक नगरपालिक निगम सिंगरौली राजीव रंजन मीणा का ध्यान आकृष्ट कराया जिस पर उन्होंने पंजीयन पर रोक लगा कर तात्कालिक आयुक्त आर पी सिंह और पंजीयन अधिकारी अभिषेक सिंह बघेल से नियमों को जांचने हेतु रीवा और भोपाल के विकास प्राधिकरण से पंजीकृत डीड की प्रतियां मंगवाने निर्देशित किया। मंगाई गई प्रतियों से तुलना करने पर सिंगरौली में किए गए सभी पंजीयन नियम विरुद्ध पाए गए। तब जाकर कलेक्टर एवं जिला प्रशासक के निर्देश के बाद हर्रई आवासीय योजना के लगभग 40 लीज होल्डर्स के नवीनीकरण का नियमानुसार पंजीयन किया गया। समिति ने तथ्यों का अवलोकन कर अपने विधि सलाहकार से जानकारी प्राप्त की जिसके मुताबिक किसी भी दस्तावेज के पंजीयन में लगने वाली ड्यूटी और शुल्क उस दस्तावेज दर्ज की राशि पर तय होती है लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जहां ड्यूटी और पंजीयन शुल्क महज डेढ़ से दो हजार होनी चाहिए वहां डेढ़ से दो लाख आरोपित किया गया और यह ऐसा इसलिए किया गया ताकि इसे बड़ा कार्य साबित कर इतनी ही राशि रिश्वत वसूली की जा सके।

 कानून के मुताबिक सार्वजनिक कोष को नुक़सान पहुंचाना या फिर आम जनता पर अधिक करारोपण कर किसी को व्यक्तिगत नुकसान पहुंचाना बराबर का अपराध है। यही नहीं स्टैंप ड्यूटी ऐक्ट और इस पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का खुला उल्लंघन भी है।

समिति ने बीते दिनों जिला कलेक्टर को एक शिकायती पत्र सौंपकर उक्त मामले की जांच का आग्रह किया है  कि संबंधितों के आय से अधिक आय की जांच की जाय। यही नहीं इनके तमाम तरह की संलिप्तता की जांच भी की जाकर दोषी पाए जाने पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाय। यही नहीं समिति न्यायाधिकार को लेकर अपनी बातों को सक्षम न्यायलय के समक्ष रखेगी।

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