पति-पत्नी में लंबे समय से विवाद चल रहा था। एक दिन ड्यूटी कर रहे स्टेशन मास्टर पति से पत्नी फोन पर लड़ने लगी। पति ने कहा कि वह घर आकर बात करेगा और इसी दौरान पति ने ओके कहा। दूसरे स्टेशन मास्टर ने ओके सुना और ट्रेन को सिग्नल दे दिया, जिससे ट्रेन प्रतिबंधित नक्सली क्षेत्र में चली गई और रेलवे को तीन करोड़ का नुकसान हुआ। इस मामले में दोषी ठहराते हुए पति को सस्पेंड कर दिया गया था। इसके अलावा भाभी से अवैध संबंध और अन्य आरोपों को हाई कोर्ट ने क्रूरता माना है। जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने दुर्ग के फैमिली कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए पति को तलाक का हकदार माना है।
हाई कोर्ट ने पाया कि पत्नी ने पति पर भाभी के साथ अवैध संबंध होने का आरोप लगाया था, जबकि मां के वर्ष 2004 में निधन होने के बाद भाभी ने ही शादी में मां की जिम्मेदारी निभाते हुए सभी रस्में पूरी की थीं। साथ ही पति व उसके शासकीय सेवक बड़े भाई, भाभी व अलग रहने वाले रिश्तेदारों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना की झूठी रिपोर्ट लिखाई। हाई कोर्ट ने पत्नी के रवैये को क्रूरता मानते हुए पति के पक्ष में तलाक की डिक्री मंजूर की है। आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम निवासी जीपी वेंकटगिरी की शादी 12 अक्टूबर 2011 को भिलाई में रहने वाली महिला से हुई थी।
पति ने कोर्ट में अर्जी दी तो पत्नी ने थाने में लिखाई रिपोर्ट
पत्नी के व्यवहार में बदलाव नहीं आने और लगातार प्रताड़ना से त्रस्त होने के बाद पति ने विशाखापट्टनम के फैमिली कोर्ट में आवेदन दिया। इसके बाद पत्नी ने भिलाई में पति, उसके बुजुर्ग पिता, बड़े भाई और भाभी और मौसेरे भाई बहन के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पति का केस विशाखापट्टनम से दुर्ग ट्रांसफर कर दिया गया। दुर्ग के फैमिली कोर्ट ने आवेदन खारिज कर दिया था। पति ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी।
Singrauli News : लंबित शिकायतों का प्रभावी निराकरण किया जाना सुनिश्चित करेः- कलेक्टर