Singrauli News : धन्वंतरि जयंती एवं धनत्रयोदशी का प्रसिद्ध पर्व आज दिन मंगलवार 29 अक्टूबर को प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी तिथि में मनाया जाएगा । जहां शहर से लेकर नगर-कस्बों के व्यापारी आज दिन सोमवार से ही दुकानों को सजाने-धजाने में लग गए हैं। कल धन्वंतरि जयंती पर ग्राहक दुकानों से खरीददारी करेंगे।
धनतेरस पर्व को लेकर जिला जिला मुख्यालय बैढ़न , चितरंगी, माड़ा, निगाही, मोरवा, जयंत, विंध्यनगर, नवजीवन विहार, सरई, कचनी, परसौना , निगरी, निवास, महुआगांव , कर्थुआ समेत अन्य नगर व कस्बों के व्यापारी दुकानों को सजा कर ग्राहकों के इंतजार करने लगे हैं। ग्राहक कल दिन मंगलवार को करोड़ों रूपये की धनवर्षा दुकानों में होगी। वही व्यापारी भी नये खाताबही की खरीददारी कर पूजापाठ करेंगे। इधर ज्योतिषविद् पं. डॉ. एनपी मिश्र महाप्रबंधक शिवधाम मंदिर बैढ़न के अनुसार परंपरागत रूप से दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाने वाला धनतेरस देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर और धन्वंतरि को समर्पित है। इस दिन कुबेर और धन्वंतरि की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही इस दिन सोना-चांदी, कपड़े, बर्तन, गाड़ी, झाड़ू अन्य चीजों को खरीदना बहुत फलदायी माना जाता है। ऐसी मान्यता है इस दिन नई चीजें खरीदने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है । वहीं धनतेरस को प्रदोष काल में दीपदान करना बहुत लाभकारी माना जाता है । कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाने वाले पर्व धनतेरस की शुरूआत 29 अक्टूबर को दिन में 10 बजकर 31 मिनट से शुरू होगा, जो अगले दिन यानी 30 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर समाप्त हो रही है। इस दिन प्रदोष काल संध्याकाल 5 बजकर 38 मिनट से लेकर 8 बजकर 13 मिनट तक है। इस मुहूर्त में दीपदान करना श्रेष्ठ रहेगा। इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 48 मिनट तक, विजया मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 56 मिनट से 2 बजकर 40 मिनट तक, गोधूलि मुहूर्त का समय शाम 5 बजकर 38 मिनट से 6 बजकर 4 मिनट तक है। जबकि निशिता मुहूर्त 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक है । हिंदू धर्म में धनतेरस का पर्व विशेष महत्व रखता है। इस दिन को धन और स्वास्थ्य के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। धनतेरस का संबंध भगवान धन्वंतरि से है जो समुद्र मंथन के समय अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।
धनतेरस पर बन रहे पंच महायोग
ज्योतिषविद् पं. डॉ. एनपी मिश्र महाप्रबंधक शिवधाम मंदिर बैढ़न के अनुसार धनतेरस के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं। 100 साल बाद ऐसा हो रहा है कि धनतेरस पर पांच राजयोग एक साथ बन रहे हैं। इस दिन त्रिग्रही योग, त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, लक्ष्मी नारायण योग, शश महापुरुष राजयोग बन रहे हैं। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा, कुबेर पूजा और धनवंतरी भगवान की पूजा करने का विधान है।
धनतेरस पर सोना-चांदी क्यों खरीदते हैं
ज्योतिषविद् पं डॉ. एनपी मिश्र के अनुसारए समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि को देवताओं का चिकित्सक माना जाता है। जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए तो उनके हाथ में एक अमृत कलश था। तब से हर साल धनतेरस के मौके पर चांदी के लक्ष्मी-गणेश, बर्तन और आभूषण खरीदे जाते हैं। इसके साथ ही धनतेरस के दिन सोना खरीदना भी शुभ माना जाता है।
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