हरियाणा के हिसार जिले में 12 साल पहले एक लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ। इससे परेशान पिता ने 9 दिन बाद आत्महत्या कर ली। इसके बाद बेटी ने न्याय की लड़ाई लड़ी और 4 गुनहगारों को आजीवन कारावास की सजा दिलवाई। इसके बाद दूसरी दुष्कर्म पीड़िताओं को न्याय दिलाना अपना मकसद बना लिया। अब तक इस बेटी ने दुष्कर्म के 40 मामले में दोषियों को सजा दिलाई है।
एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल बताते हैं कि केस वापस लेने का काफी दबाव था। लेकिन पिता को खोने के बाद भी उसने न्याय के लिए संघर्ष किया। दुष्कर्म पीड़िताओं को न्याय का यह संघर्ष कमजोर न हो, इसलिए उन्होंने खुद क्कील बनने की ठानी। इस साल लॉ की डिग्री हासिल की। सुनिए पीड़िता की कहानी उसी की जुबानी…
हिम्मत… हमले हुए, घर-शहर बदला, पर टूटी नहीं
12 साल पुराना घिनौना मंजर याद कर आज भी सिहर उठती हूं। तब मैं 12वीं में पढ़ती थी। सितंबर 2012 के एक दिन नानी के घर से किताबें लेकर खेत के रास्ते घर जा रही थी। दोपहर का वक्त था। 11 लोगों ने रास्ते में दुष्कर्म किया। बीमार पड़ी। नानी के पास आ गई। डर के मारे किसी को बताया नहीं। लेकिन गांव में मेरे परिवार का जीना दूभर हो गया। नौवें दिन पिता ने आत्महत्या कर ली। पुलिस पिता के अंतिम दर्शन कराने नानी के घर से अपने घर ले गई। फिर ठान लिया, अब लड़ना है। अगले दिन बारहवीं का पेपर देने गई। मैंने किसी तरह पेपर दिया। फिर सिविल अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। हालत बिगड़ती गई तो विदेश में इलाज के लिए भेजा गया। पूरी तरह ठीक होने में मुझे 14 साल लग गए। केस वापस लेने के लिए गांव में दबाव बनाया गया। सिक्योरिटी होने के बाद भी मेरे ऊपर चार-पांच बार हमले हुए। कई बार घर का पता बदला। जब घर से कॉलेज आती-जाती तो गनमैन साथ में रहते थे। लोग कॉलेज में ताने मारने लगे। मुझे कॉलेज छोड़ना पड़ा। दूसरे शहर जाकर पढ़ाई की और एक यूनिवर्सिटी से इस साल एलएलबी पूरी की।