Singrauli News : हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई भ्रष्ट सचिव पर लाखों की रिकवरी ,पुनः जांच के नाम पर पलीता लगाने की तैयारी  - SNEWS MP

Singrauli News : हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई भ्रष्ट सचिव पर लाखों की रिकवरी ,पुनः जांच के नाम पर पलीता लगाने की तैयारी 

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Singrauli News : ग्राम पंचायत डिग्घी की भ्रष्ट विवादास्पद सचिव देवकुमारी शाह के कारनामों की जांच उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सचिव देवकुमारी के ऊपर लगभग 28 लाख रुपए का गबन के साथ-साथ कई बिंदुओं पर दोषी जांच में पाई गई थी ,जांच के बाद कार्यवाही रुकवाने के लिए एक सतारूढ़ पार्टी के जनप्रतिनिधि ने अपना जोर लगवा कर कार्यवाही को रुकवा दिया था!

 लेकिन शिकायत कर्ताओं ने उच्च न्यायालय जबलपुर की शरण लिया ।जहां उच्च न्यायालय के विद्वान न्यायधीश ने सचिव के कृत्यों को दोषी मानते हुए चार सप्ताह में कार्यवाही करने का आदेश जिला पंचायत सिंगरौली, कलेक्टर सिंगरौली, उपखण्ड अधिकारी सिंगरौली व जनपद पंचायत के मुख्यकार्यपालन यंत्री को जारी किया तब आनन फानन में कार्यवाही को कुंडली मारकर दबाने वाले अधिकारियों ने उच्च न्यायालय के आदेश के तहत बहुत कुछ छिपाते हुए 65 लाख के भ्रष्टाचार को दबाकर मात्र 28 लाख रुपए की वसूली हेतु सचिव सहित अन्य सम्मिलित कर्मचारियों को दिनांक 18 मार्च को ख़यानत वित्तीय अनियमितता की राशि को जिला पंचायत के खाते में जमा करने हेतु पेशी नियत किया लेकिन शातिर सचिव ने नियत पेशी दिनांक को जवाब ना देना पड़े इसलिए मेडिकल अवकाश के लिया! वही वसूली कार्यवाही तथा जिला कलेक्टर तथा जनपद पंचायत की जांच को झूठा बताकर पुनः जांच करवाने का दबाव एक सत्ताधारी जनप्रतिनिधि से डलवाकर तीसरा जांच दल गठित करवाकर लीपापोती करने तथा जो वसूली की राशि को अत्यधिक कम करनवाने हेतु जिले के चुनिंदा अधिकारियों का दल जिसने सत्ता धारी के दबाव में घटिया निर्माण करने का जिम्मा सौंपा गया है उन अधिकारियों से जिला पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी महोदय के द्वारा घटित जांच दल तीसरा गठित कर लीपापोती का सफल प्रयास कर सचिव को बचाने की अंतिम कोशिश की जा रही है।

गौरतलब है कि जो जांच 4 साल से एक स्थानीय जनप्रतिनिधि के इशारे पर जिला के अधिकारी दबा दिए उसकी उच्च स्तरीय शिकायत प्रमुख सचिव पंचायत ग्रामीण विकास संचालक, पंचायत राज संचनालय कमिश्नर रीवा,कलेक्टर सिंगरौली से की गई फलस्वरूप जिला कलेक्टर सिंगरौली के द्वारा दिए गए निर्देश पर एस डी एम सिंगरौली द्वारा जांच करवाई गई जिसमें भारी भ्रष्टाचार ख़यानत वित्तीय अनियमितता जांच दल को शिकायत कर्ताओं के उपस्थिति में जांच दल को मिली जिसका पंचनामा मौके पर तैयार किया जाकर उच्च अधिकारियों को सोपा गया।

लेकिन कोई कार्यवाही जिला के अधिकारियों ने सत्ता पार्टी के एक जन प्रतिनिधि के दबाव पर नहीं किया गया जिससे मजबूर होकर समस्त जांच कार्यों की सूचना अधिकार के तहत जानकारी लेकर उच्च न्यायालय जबलपुर में पिटिशन दायर किया गया जिसने माननीय विद्वान न्यायधीश महोदय ने गंभीर अनियमितता ख़यानत पर चार सप्ताह में कार्यवाही करने का आदेश जारी किया गया ।आनन फानन में जिला पंचायत द्वारा एक सप्ताह के अंदर कार्यवाही कर भ्रष्टाचार के आरोप में लगभग 28 लाख के ख़यानत का मामला सिद्ध कर वसूली हेतु 18 मार्च को तारीख मुकर्रर की गई जिससे बिलबिलाए एक जन प्रतिनिधि जो इस भ्रष्ट सचिव से लगाव रखकर भ्रष्टाचार करने की खुली छूट देकर हर गलत कार्यों में सहयोग करते है और अधिकारियों पर नाजायज दबाव डालकर कार्यवाही नहीं करने हेतु जोर देते है और धमकी देते है कि हमारी सरकार है हमारी बात नहीं सुनोगे तो तुरंत तबादला करवा देंगे इस धमकी से डरे अधिकारियों ने सचिव को बचाने की नियत से कलेक्टर तथा जनपद की जांच को झूठा साबित करने के नियत से अपने चुनिंदा अधिकारियों का जांच दल आनन फानन में गठित कर एक जनप्रतिनिधि के इशारे पर सचिव को बचाने तथा 28 लाख की वसूली को झुठलाने के लिए गुपचुप तरीके से जांच दल जाकर बिना शिकायत कर्ताओं को सूचित किए मनमाफिक जांच सचिव भ्रष्टाचारियों को बनाने हेतु प्रारंभ है।

स्थानीय ग्रामीण शिकायकर्ताओं ने कहा है कि अगर सचिव को एक सत्ता धारी नेता जनप्रतिनिधि के इशारे पर बचाया जाता है तो हम शिकायकर्ता जांच दल में शामिल अधिकारियों को उच्च न्यायालय में पार्टी बनायेगे क्योंकि दोनों जांच दल में भारी भ्रष्टाचार उजागर होकर वसूली हेतु जारी हुआ है लेकिन भ्रष्ट एक नेता के इशारे पर मनमाफिक अधिकारियों से जांच दल में हुए खुलाशे को दबाकर मनमाफिक रिपोर्ट लेकर सचिव को बचाने हेतु मौका दिया गया है नियत तिथि को सचिव का जवाब देने न आना ख़यानत की राशि जमा ना कर मेडिकल अवकाश लेकर वसूली की राशि को झुठलाने हेतु भ्रष्ट नेता के कहने पर तीसरा जांच दल गठित कर बचाने का सफल प्रयास है।

बहरहाल अभी शिकायत कर्ताओं ने जारी प्रेस बयान में कहा है कि अगर जांच में वसूली की राशि को कम किया गया सचिव को क्लीन चिट दी गई तो जांच दल में शामिल सभी अधिकारियों को उच्च न्यायालय में भ्रष्टाचार का आरोपी बनाए जाने हेतु पुनः पिटिशन दायर किया जाएगा ।

अब देखना यह है कि क्या सत्ता धारी पार्टी का जन प्रतिनिधि अपने चहेते सचिव को राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर पर्दा डाल देंगे या भ्रष्टाचार की जांच की मांग करने वाले ग्रामीणों को न्याय मिलेगा।

ग्रामीणों व याचिकाकर्ता ने बताया की सरजू साकेत के घर के पास नाली बनी ही नही है फिर भी पैसा निकाल लिया गया, जो चेक डेम बना वह दस दिन मे ही टूट कर गिर गया!

सचिव ने मृतक आदिवासियों के नाम से पैसा निकाल लिया है जिसमे तत्कालीन सरपंच जेल गया था सचिव जिसकी मुख्य भूमिका थी उसको बचाया गया है!

तीन बच्चे होने के बाद भी भ्रष्ट सचिव की नियुक्ति कर दी गई जो की भर्ती हेतु अयोग्य थी इतने आरोप सही पाए जाने के बाद भी जिला पंचायत के अधिकारियो द्वारा कार्यवाही मे लापरवाही उनकी भी सलिप्तता उजागर करती है!

याचिका कर्ता ने कहाँ की अगर कार्यवाही नियमानुसार नहीं हुई तो पुनः हाई कोर्ट जायेंगे!

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