सिंगरौली न्यूज: सिंगरौली जिले का एक बड़ा हिस्सा भू-अर्जन से प्रभावित है। यहां कई स्थानों पर भूमि अर्जन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, वहीं कुछ स्थानों पर यह प्रक्रिया जारी है। कई परियोजनाओं के तहत यह प्रक्रिया चल रही है, जिसके चलते प्रभावित लोगों के अधिकारों की रक्षा और प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करना जरूरी हो गया है। ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ता डीपी शुक्ला ने भू-अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन प्रक्रिया को बेहतर और पारदर्शी बनाने के लिए एक सेमिनार और प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने की मांग की है।
पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए सेमिनार की आवश्यकता
सामाजिक कार्यकर्ता डीपी शुक्ला ने कहा कि भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम 2013 के बारे में लोगों को सही जानकारी होना बहुत जरूरी है। इसके बिना प्रभावित लोग अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं। शुक्ला ने यह भी कहा कि सिंगरौली जिले में विकास के लिए भूमि अर्जन की प्रक्रिया कई परियोजनाओं के तहत हो रही है, लेकिन यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और न्यायपूर्ण नहीं है। ऐसे में प्रभावित व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा और प्रक्रिया में सुधार के लिए एक विशेष प्रशिक्षण सत्र और सेमिनार का आयोजन किया जाना चाहिए।
सेमिनार का उद्देश्य
इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन प्रक्रिया को न्यायोचित और पारदर्शी बनाना है। इस दौरान अधिकारियों को अधिनियम के प्रावधानों का प्रभावी ढंग से पालन करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। साथ ही, भूमि अर्जन से संबंधित सभी न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारियों को एक मंच पर लाकर उन मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जो इस प्रक्रिया में उठते हैं। इस प्रकार सेमिनार में सही समाधान निकालने की कोशिश की जाएगी।
मुख्य मांगें
उचित प्रतिकर और पारदर्शिता
भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन प्रक्रिया में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का पालन करना जरूरी है। इसके लिए अधिनियम 2013 के अनुरूप प्रशिक्षण देना और पारदर्शी प्रक्रिया को लागू करना अनिवार्य है।
सामाजिक समाघात अध्ययन
प्रभावित समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए सामाजिक समाघात अध्ययन करना आवश्यक है। यह अध्ययन यह सुनिश्चित करेगा कि सभी प्रभावित व्यक्तियों को उचित मुआवजा और पुनर्वास मिले।
अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की रोकथाम
भूमि अर्जन प्रक्रिया में कई बार अनियमितताएं और भ्रष्टाचार सामने आते हैं। ऐसे में, इस सेमिनार के माध्यम से अनियमितताओं को रोकने के उपायों पर चर्चा की जाएगी। अधिकारियों को इस संबंध में प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो।
अधिकारियों की जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित करना
सेमिनार का एक प्रमुख उद्देश्य अधिकारियों की जिम्मेदारियों पर प्रकाश डालना है। प्राधिकरणों के दायित्वों को सुदृढ़ करना और पूर्व कार्यवाहियों पर ध्यान देना इस सेमिनार का एक अहम हिस्सा होगा।
सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रभावितों की आवाज
सामाजिक कार्यकर्ता डीपी शुक्ला ने कहा कि यह सेमिनार प्रभावित व्यक्तियों को अपनी आवाज उठाने का अवसर देगा। उन्होंने कहा, “यह सेमिनार न केवल अधिकारियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी एक अहम कदम है। इससे उन्हें अपने अधिकारों के बारे में जानकारी मिलेगी और वे अपनी समस्याओं को अधिकारियों तक सही तरीके से पहुंचा सकेंगे।”
सिंगरौली प्रशासन को चाहिए उचित कदम
सिंगरौली प्रशासन को अब इस मामले में गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है। यदि प्रशासन इस प्रकार के प्रशिक्षण सत्र और सेमिनार आयोजित करता है, तो इससे पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है। साथ ही, यह प्रभावित व्यक्तियों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करेगा और प्रक्रिया में होने वाली अनियमितताओं पर भी रोक लगेगी।
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