Singrauli News : बैढन, सामुदायिक भवन, में चल रही दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला के तीसरे दिन जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की प्रचारिका सुश्री धामेश्वरी देवी जी ने वेद और शास्त्रों के प्रमाण सहित बताया कि ब्रह्म का स्वरुप कैसा है। सर्वातरयामी सर्वशक्तिमान भगवान् को बुद्धि के द्वारा बड़े बड़े ज्ञानी तो क्या, ब्रम्हा जी भी नही जान सकते। किन्तु यदि किसी पर भगवान् की कृपा हो जाये और भगवान् की बुद्धि (दिव्य शक्ति) उसे मिल जाये, तो साधारण मनुष्य भी भगवान् को जान सकता है। इसका आशय यह नही, कि भगवान् को जाना नही जा सकता।
कुछ लोग कोटेशन आदि के द्वारा प्रत्येक कर्म के लिए भगवान् को जिम्मेदार ठहराते है। जबकि भगवान् ने हमें सत्कर्म करने की शक्ति दी है किंतु उसकी दी हुई शक्तियों का हम दुरुपयोग करते है। यानि संसार में आसक्ति करते है और फिर कह देते है, हमारे भाग्य में नहीं है। अथवा भगवान् को दोषी ठहराते है। मनुष्य देह प्राप्त करके ईश्वर की भक्ति करने की बजाय संसार की जिम्मेदारियों की आड़ लेते है। वास्तव में भगवान् की कृपा का सही अर्थ समझना होगा, शास्त्रों से और संतो से।
भगवान् की कृपा प्राप्त करने के लिए वेदों में शर्त बतायी गयी है। वह शर्त क्या है? यह आगे प्रवचन में बताया जायेगा। प्रवचन के अंत में श्री युगल सरकार की आरती हुई, जिसमें समस्त भक्तगणों ने आध्यात्मिक लाभ लिया। 11 दिवसीय दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला का आयोजन दिनांक 11 जुलाई 2024 तक होगा।