Horrific Plane Crash : वैसे तो देश और दुनिया में कई विमान हादसे हुए हैं, लेकिन दुनिया का सबसे भीषण वाई विमान हादसा आज ही के दिन 3 जुलाई को हुआ था जिसमें 145 लोग मारे गए थे, वहीं आसपास के लोगों ने विवान को आज का गोला बनाकर गिरते हुए अपने आंखों से देखा था वही 145 लोग आज की लपेट से जिंदा जलकर मरे गए थे जो दुनिया का सबसे खतरनाक विमान हादसा माना जाता है. आईए जानते हैं इस हादसे के बारे में.
पायलट की गलती से हुआ था विमान क्रैश
पायलट की एक गलती के कारण जहाज क्रैश हुआ और भीषण अग्निकांड में 145 लोग जिंदा जलकर मारें गए थे जो इतिहास का सबसे खतरनाक विमान हादसा रहा है। जिस समय यह हादसा हुआ था उस वक्त विमान 21000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर रहा था तभी अचानक से विमान पायलट के समझ से अनकंट्रोल हो जाता है पायलट जहाज के योक पर गलत इनपुट दिया, जिससे स्पीड कम हो गई। बैलेंस करने के चक्कर में योक ज्यादा खिंच गया, जिससे जहाज कॉर्कस्क्रू में फंस गया। पायलटों ने जहाज को संभालने की काफी कोशिश की, लेकिन जहाज के इंजन बंद हो गए और विमान कई पलटनिया खाते हुए क्रश होकर जमीन पर गिर गई जमीन पर गिरने के बाद जहाज में भयानक ब्लास्ट होकर आग लग गई और आग में 145 लोग जिंदा मारे गए.
घटनास्थल पर मिले जली हुई लाशें
घटना के बाद घटनास्थल पर पैसेंजरों और क्रू मेंबर्स की जली हुई लाशें, सामान और मलबा मिला। लोगों ने आग का गोला बने जहाज को जमीन पर गिरते देखा। एक महिला ने फायर ब्रिगेड को इसकी सूचना दी, जिससे प्लेन क्रैश की घटना के बारे में पता चला। इसे रूस के इतिहास का सबसे घातक विमान हादसा माना गया।
इस दिन हुआ था हादसा
आप सभी को बता दे की दुनिया का सबसे भयानक विमान हादसा आज से 23 साल पहले 4 जुलाई 2001 को भारतीय समयानुसार रात के करीब 2 बजे हुए। रूस के इरकुत्स्क शहर से लगभग 22 किलोमीटर (14 मील; 12 नॉटिकल मील) दूर बुरदाकोवका बस्ती के पास क्रैश हुए जहाज में आग लगने से सभी 136 यात्री और 9 क्रू मेंबर्स मारे गए थे। आग बुझाने के लिए 180 फायर कर्मियों ने करीब 15 घंटे कड़ी मशक्कत की। 200 लोगों की रेस्क्यू टीम ने सहयोग किया।
आसपास था जंगली इलाका
जिस जगह पर विमान हादसा हुआ था वहां पर घने जंगल थे जिसकी वजह से बचाव अभियान में बाधाएं आईं। जहाज का मलबा और लाशें अलग-अलग जगह पड़ी मिली। रेस्क्यू टीम ने पूरा जंगल खंगाला, तब सभी 145 लाशें मिली। व्लादिवोस्तोक एयरलाइन की फ्लाइट 352 ने रूस के येकातेरिनबर्ग शहर से उड़ान भरी थी और इरकुत्स्क होते हुए व्लादिवोस्तोक में फ्लाइट लैंड होनी थी। टुपोलेव टीयू-154एम प्लेन था। एयरोफ्लोट 3352 और एयरोफ्लोत 217 के बाद रूस के इतिहास का तीसरा सबसे बड़ा हादसा हुआ था।
जांच के बाद पता चला हादसा का कारण
जब इस भीषण हादसे की जांच की गई तो पता चला कि विमान क्रैश पायलट की गलती की वजह से हुआ था. पायलट प्लेन में आए टेक्निकल फॉल्ट को लोकेट नहीं कर पाया। गलत जानकारी देने के साथ उसने स्थिति संभालने के लिए गलत स्टेप उठाए और जहाज का इंजन आसमान में ही बंद हो गया और दुनिया का सबसे बड़ा विमान हादसा हो गया जिसमें 145 लोग मारे गए।
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