Chhindwara News : जुन्नारदेव क्षेत्र में खदानों के आसपास नीलगिरि पेड़ों की तेज़ी से हो रही अंधाधुंध कटाई ने पर्यावरणीय संकट की आशंका को बढ़ा दिया है। ये पेड़ इस इलाके की जैव विविधता का अहम हिस्सा हैं। नीलगिरि के पेड़ न केवल जलवायु संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं, बल्कि मिट्टी के कटाव को भी नियंत्रित करते हैं। इसके बावजूद, इन पेड़ों की अवैध कटाई रुकने का नाम नहीं ले रही है, जो इलाके के पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है।
स्थानीय पर्यावरणविदों का मानना है कि अगर इस तरह की कटाई जारी रही, तो इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। ये पेड़ स्थानीय जलवायु के संतुलन को बनाए रखते हैं, और उनकी कटाई से जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी और मिट्टी के कटाव जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसके साथ ही, नीलगिरि के पेड़ों की मौजूदगी से स्थानीय वन्यजीवों को भी आश्रय मिलता है। इन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से वन्यजीवों की जीवन-रेखा भी खतरे में पड़ सकती है।
नीलगिरि पेड़ों की कटाई से जुड़ा एक और बड़ा मुद्दा स्थानीय आदिवासी समुदाय से जुड़ा है। यह समुदाय इन जंगलों पर अपनी आजीविका के लिए पूरी तरह निर्भर है। वे इन पेड़ों से लकड़ी, फल और अन्य संसाधन प्राप्त करते हैं। इसके अलावा, इन जंगलों में उनका पारंपरिक जीवन व्यतीत होता है। जब इन पेड़ों की कटाई होती है, तो यह आदिवासी समुदाय की पारंपरिक जीवनशैली को सीधे प्रभावित करता है। पेड़ों की कटाई से न केवल उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है, बल्कि उनके अस्तित्व पर भी संकट मंडरा रहा है।
स्थानीय आदिवासी और पर्यावरणविद इस कटाई को रोकने के लिए प्रशासन से मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर इस प्रक्रिया को नहीं रोका गया तो न केवल पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ेगा, बल्कि आदिवासी समुदाय की जीवनशैली भी खत्म हो जाएगी। उन्होंने सरकार और स्थानीय प्रशासन से अपील की है कि वे इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान दें और इस जंगल की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाएं।
इस क्षेत्र में बढ़ती हुई खनन गतिविधियां और पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि विकास के नाम पर यदि इस तरह के पर्यावरणीय नुकसान होते रहे, तो भविष्य में इसके दुष्परिणाम गंभीर हो सकते हैं। स्थानीय लोग और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्थाएं इस मुद्दे को लेकर लगातार जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रही हैं।
इस पर प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इस तरह की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए सरकार और स्थानीय अधिकारियों को जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि पर्यावरणीय संकट को टाला जा सके।
नीलगिरि के पेड़ों की कटाई और खनन गतिविधियों को लेकर क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। यह समय है जब प्रशासन को जागरूक होकर पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो भविष्य में इसका असर पूरे क्षेत्र और उसके आसपास के पर्यावरण पर पड़ सकता है, जो कि पूरे इलाके के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
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