Singrauli News : नगर पालिका निगम में इन दिनों शह और मात का खेल खेला जा रहा है। लेकिन इस खेल का वजीर दागी कार्यपालन यंत्री अपने मंसूबों पर फिर सफल होता नजर आ रहा है। हालांकि महापौर की एमआईसी के फैसले से भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों की उलझने बढ़ा दी है।
दरअसल उपयंत्री अनुज सिंह 38 लाख के निर्माण कार्यों के भ्रष्टाचार का बीज बोकर नगर निगम कमिश्नर तक को उलझा दिया है। चर्चा है कि कई ठेकेदारों ने कमिश्नर के खिलाफ पर्दे के पीछे रह कर दागी सहायक यंत्री एवं उपयंत्री के मंसूबों को अंजाम देने में लगे हैं। बता दें कि शिवाजी कांप्लेक्स पाइपलाइन और मैनपॉवर सप्लाई मामले में करीब 38 लाख का घोटाला हुआ। इस घोटाले का खुलासा ननि अध्यक्ष देवेश पाण्डेय ने किया। लेकिन कई महीने बीत जाने के बाद भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। वहीं परिषद बैठक में निगम अध्यक्ष और पार्षदों का दबाव बढ़ा तो आयुक्त ने अधिकारियों को दोषी मानते हुए। जहां पहले निलंबित किया और प्रभार छीना तो वहीं महीने भर के भीतर ही दागी कार्यपालन यंत्री से लेकर घोटाले बाज उपयंत्री तक को बहाल कर दिया।
हालांकि 2 दिन बाद ही मेयर इन काउंसिल ने आयुक्त से इतर फैसला लेते हुए अनियमितता करने वाले सभी दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही को सही माना। जिसके बाद आयुक्त और महापौर में तकरार बढ़ गई है। महापौर रानी अग्रवाल ने अपने फेसबुक एकाउंट में एक पोस्ट शेयर किया है। जिसमें लिखा कि मेयर इन काउंसिल आगामी बैठक में जांच कार्यवाही की पूरी रिपोर्ट पेश कर ने और जांच पूरी होने तक संबंधित पदाधिकारियों को उनके पदीय कार्यों से पृथक किये जाने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया। मेयर इन काउंसिल के फैसले से नगर निगम सहित गेम चेंजर सफेद पोशों के किए कराई पर पानी फिर गया। फिलहाल आयुक्त के उक्त आदेश जारी होने के दो बाद ही एमआईसी ने आपत्ति जता कर दोनों के बीच तकरार बढ़ा दिया है। अब 38 लाख के कार्य में हुई अनियमितता का मामला एक बार फिर से जोर पकड़ लिया है।